फिल्म प्रोमोशन के फंडे
हाल ही में आमिर खान साहब संसद भवन में नजर आए| साथ ही नजर आए उनके आस–पास कुछ सांसद| आमिर साहब कुपोषण पर सरकार को राय देने पहुँच गए वो भी तब जब संसद में कामकाज ठप्प पड़ा हुआ है|
कमाल की बात तो ये है कि आमिर खान के संसद पहुँचते ही सत्ता और विपक्ष के सांसद एकदम एकजुट हो गए| जबकि दोनों पक्षों में २ जी स्पेक्ट्रम घोटाले मामले पर खींचतान चल रही है | विपक्ष सरकार से २ जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर जेपीसी कमेटी की मांग पर अड़ा हुआ है और किसी भी मुद्दे पर बहस के लिए तैयार नहीं है|
ऐसे में आमिर खान का संसद में जाकर बयानबाजी करना महज अपनी आने वाली फिल्म “धोबीघाट” को प्रमोट करने का पैंतरा भर है| आमिर खान के लिए ये कोई नई बात नहीं है| उनको फिल्मों को प्रचारित-प्रसारित करने के तमाम गुर और हथकंडों की समझ है और उन्हें मीडिया को मैनेज करना भली-भांति आता है| यह उनके मैनेजमेंट कौशल का ही एक फंडा है|
आमिर खान पहले भी सामाजिक मुद्दों से जुड़े रहे हैं| उनकी बहुचर्चित फिल्म “रंग दे बसन्ती” के रिलीज के वक्त वे “नर्मदा बचाओ” आंदोलन से जुड़े हुए थे| मेघा पाटकर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन और किसानो के साथ खड़े थे| लेकिन फिल्म की कामयाबी के बाद आमिर साहब आंदोलन से अलग हो लिए|
“पीपली लाइव” फिल्म के दौरान वो महंगाई की बात करते नजर आये| फिल्म का गीत “महंगाई डायन” बहुत लोकप्रिय भी हुआ| आमिर ने महंगाई और गरीबी को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है| यह पहली बार नहीं हुआ जब गरीबी को दिखाकर पैसे बनाये गए है| हालीवुड की “स्लमडाग मिलेनियर” इसका बेहतरीन उदहारण है| फिल्म में जिस तरीके से गरीबी को दर्शकों के सामने परोसा गया उतनी ही अच्छी तरह से फिल्म ने बिजनेस भी किया| यहाँ तक कि फिल्म ने आस्कर पुरस्कारों की झड़ी लगा दी|
फिल्म के प्रमोशन के लिए इस तरह के पैंतरे अपनाने वाले आमिर अकेले नहीं है| शाहरूख खान ने आईपीएल के दौरान अपनी बड़े बजट की फिल्म ओम शान्ति ओम को खूब प्रमोट किया था| अक्षय कुमार ने “खट्टा-मीठा” के लिए सड़कों पर घूमकर सड़को के गड्डों के बारे में जनता को जागरूता बढ़ाने का तरीका अपनाया था| वो भी बाकायदा फिल्म वाले गेटअप में|
फिल्मी सितारों के अफेयर और उनसे जुडी गासिप का भी फिल्म के प्रमोशन के लिए प्रयोग किया जाता है अब रियलिटी शो और फिल्म के हाट सीन भी किसी फिल्म को चर्चित करने के लिए इस्तेमाल किये जाते है| जैसे कि धूम २ में एश्वर्या-ऋतिक का किसिंग सीन ने खूब धूम मचायी|
लेकिन आमिर खान साहब ने अपनी फिल्मों के प्रमोशन के लिए एक नायाब तरीका ही ढूढ़ निकाला है| उनके प्रमोट करने के तरीके को देख कर एक पंथ दो काज वाली कहावत ही याद आती है| फिल्म प्रमोशन के लिए आमिर खान साहब जहाँ एक तरफ सामजिक मसलों से जुडकर एक संवेदनशील नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ता की छवि बना रहे है वहीँ दूसरी तरफ वे इस छवि को भुनाकर अपनी फिल्मों का प्रमोशन भी बखूबी कर लेते है|
फिल्म सफल और आमिर खान साहब गायब! समस्याए वहीँ रहती है, मुद्दे वहीँ रहते हैं पर फिल्म प्रमोशन के समय इन्हें आवाज देने वाले आमिर खान साहब पैसे कमाकर इस पूरे दृश्य से नई समस्याओं को खोज कर उन्हें भुनाने के लिए निकल पड़ते हैं|
सही कहा ये अभिनेता अपनी फिल्मों को सफल बनाने के लिए कुछ भी कर सकते है.
ReplyDeleteलगभग सभी अभिनेता, अभिनेत्री और निर्माता अपनी फिल्म को सफल करने के लिए सभी हथकंडे अपनाते हैं..
कभी सामाजिक मुद्दों से जुड़ जाते हैं तो कभी आम लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुनते है और फिल्म सफल होते हे सबकुछ भूल जाते हैं...
अच्छा वर्णन किया हैं...
हा ये बात सच है , कि फ़िल्मी सितारे अपनी फ़िल्म के प्रमोशन के लिये किस किस हद तक जा सकते है॥ लेकिन सामाजिक सम्वेद्नाओ के जरिये फ़िल्म को प्रमोशन करना सचमुच एक पन्थ दो काज है॥ अच्छे पोस्ट के लिये शुभकामनाए ॥ लेखन जारी रखे, अच्छा लिख रहे हो ॥
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