Thursday, August 26, 2010

महंगाई के बहाने संसद ठप्प .............

महंगाई के बहाने संसद ठप्प


संसद के मौजूदा सत्र में विपक्ष को बैठे -बिठाये महंगाई का मुद्दा हाथ लग गया है
विपक्ष महंगाई के बहाने संसद को चलने नहीं दे रहा है
भले ही उसे इसमें अपनी बड़ी जीत नज़र आ रही हो मगर नुकसान तो देश की जनता का ही हो रहा है
आम आदमी के पैसे से चलने वाली संसद में अगर कुछ काम ही न हो तो असली नुकसान देश की जनता का ही है
महिला आरक्षण और न जाने कितने अहम विधेयक अधर में लटके पड़े है
अगर संसद में इसी तरह गतिरोध जारी रहा तो कोई भी विधेयक पारित होता नज़र नहीं आ रहा
महंगाई पर विपक्ष अपनी राजनीति खेल रहा है और सरकार इस मसले पर किसी भी तरह की वोटिंग से बचना चाहती है
विपक्ष महंगाई के बहाने अमितशाह के मुद्दे से भी बचना चाहता है
राजनीति के इस खेल में जनता के पैसे को ही बर्बाद किया जा रहा है जिसका हर्जाना भी आम आदमी को ही उठाना पड़ेगा

सभ्यता का पाठ ....

सभ्यता का पाठ


दिल्ली जहाँ दुनिया के चोटी के शहरों में शुमार हो गया है वहीँ दिल्ली के जनता ने मानो कभी न सुधारने की कसम खा रखी है
परिवहन के नियमों को ताक़ पर रखकर उन्हें दिनदहाड़े तोड़ना लोग अपना फ़र्ज़ समझते हैं
नियमों के हिसाब से गाड़ी चलाना अपनी शान के खिलाफ मानते है
चालक मनमाने तरीके से ओवरटेक और रेड लाइट तोड़ते है
लोग जहां- तहां कूड़ा-करकट फेंकना और मल-मूत्र से शहर को सडाना अपना धर्म मानते हैं
सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुंचाने और उसको बदसूरत बनाने में हम अव्वल है
सरकारी और एतिहासिक इमारतों की सूरत बिगाड़ने में माहारत हासिल है
जहां-तहां अश्लील चित्रकारी करके और अश्लील उक्तियों से अपनी सभ्यता-संस्कृति का परिचय भी बखूबी देते है
समस्याएं अत्यंत गंभीर है जिनसे मुहँ नहीं मोड़ा जा सकता
हमेशा दुर्व्यवस्था के लिए सरकार को दोष देना भी जायज नहीं है
हमारी भी अपने शहर को साफ-सुथरा रखने और व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी बनती है
हमें सभ्यता का यह पाठ तो सीखना ही होगा
वरना राष्ट्रमंडल खेलों के वक़्त हम विदेशी मेहमानों के सामने दिल्ली की क्या तस्वीर पेश करेगें ?

गर्त में भारतीय महिला हॉकी .....

गर्त में भारतीय महिला हॉकी


भारतीय हॉकी अपने सबसे निम्न स्तर में पहुँच गयी है
महिला हॉकी टीम की खिलाडियों ने मुख्य कोच और अन्य कोचिंग स्टाफ पर यौन शोषण का आरोप लगाया हैं
इन आरोपों के बाद पूरे खेल जगत में सनसनी फैल गयी
पुरुष हॉकी टीम का हाल पहले से ही बुरा था अब

महिला हॉकी के इस विवाद ने देश को पूरी दुनिया के सामने शर्मसार कर दिया है
छोटे शहरों और कस्बों की गरीब लड़कियाँ आँखों में देश के लिए खेलने का सपना लिए हॉकी खेलने की शुरुवात करती है
तब उन्हें इस बात का अंदाजा भी नहीं होता कि सच्चाई इतनी कडवी और भयावह भी हो सकती है
महिला हॉकी खिलाडियों को इतना पैसा भी नहीं मिलता कि वे ठीक से अपनी गुजर-बसर भी कर सके ऐसे में यौन उत्पीडन का यह मामला भयानक सच्चाई को उजागर करने वाला है
विवाद के चलते महिला हॉकी टीम के प्रमुख कोच ने अपनी सच्चाई साबित होने तक स्वयं को टीम से अलग कर लिया है
वहीँ के पी एस गिल गिल साहब ने इसे पुलिस का मामला बताते हुए पूरे प्रकरण की स्वतन्त्र जांच की मांग की है
जो भी हो इस पूरे विवाद ने देश कि इज्ज़त को पानी-पानी कर दिया है क्योंकि धुंआ वहीँ उठता है जहाँ आग लगी हो

नक्सलवाद पर सरकार की पहल ...........

नक्सलवाद पर सरकार की पहल


देश लम्बे समय से नक्सल समस्या से त्रस्त है
नक्सलपटटी के लिए नासूर बनी चुकी इस समस्या का हल काफी लम्बे समय से तलाशा जा रहा है
सरकार की तमाम कोशिशें नाकाम रही है
पिछले 6 महीनो से जारी ग्रीन हंट ऑपरेशन भी नाकाफी साबित हुआ है
केंद्र सरकार ने अब राज्य सरकारों के साथ मिलकर नक्सलियों के विरूद्ध संयुक्त मोर्चा बनाने का निर्णय लिया है
प्रधानमंत्री और सात राज्यों की बैठक में यह फैसला लिया गया सरकार ने नक्सलवाद को राजनीतीक समस्या मानने की बजाय आपराधिक और विकास के अधूरेपन की समस्या माना
नक्सलियों के विरूद्ध संयुक्त ऑपरेशन के लिए सरकार हेलीकॉप्टर और अन्य तमाम जरूरी साजोसामान उपलब्ध करने का फैसला लिया है
सरकार की यह पहल वाकई काबिलेतारीफ है क्योंकि इसमें आम नागरिकों को नक्सलियों से अलग करके कार्रवाई की जायेगी
साथ ही इन पिछड़े राज्यों में विकास कार्यो के लिए 950 करोड़ रूपये खर्च किये जायेगें और सड़क, बिजली, स्कूल व स्वास्थ्य इत्यादि बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जायेगा
लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि तमाम राजनीतीक दल अपने निजी हितों और स्वार्थों से ऊपर उठकर किस हद तक इस कार्रवाई को अमलीजामा पहना पाते है

बारिश का कहर ...

बारिश का कहर


थम गयी दिल्ली, अँधेरे में डूब गयी दिल्ली
मानसून की करीबन एक घण्टे की तूफानी बारिश ने पूरी दिल्ली में कोहराम मचा दिया
राजधानी के नामी गिरामी इलाको में जलभराव की वजह से जाम लग गया
दीवार गिरने और करंट लगने से 12 लोगों को अपनी जाने गवाने पड़ी
इस तूफानी बारिश से राजधानी के सैंकड़ो पेड़ उखड गए और बिजली की तारे टूट गयी
कई इलाको में आधी रात तक बिजली गुल रही
आम आदमी को पांच-पांच घण्टे तक जाम में फंसे रहना पड़ा
जाम लगने की वजह नालों की समय पर सफाई न होना और जलनिकासी का उचित बंदोबस्त न होना है
ये आज की कहानी नहीं है सालों से दिल्ली का यही हाल है
एक घण्टे की बारिश से जब ये हाल हुआ है तो जोरदार मानसून से क्या हाल होगा ? जो भी हो बिगड़ी व्यवस्था का सारा खामियाजा तो आम आदमी को ही भुगतना पड़ रहा है
दिल्ली सरकार जहाँ मानसून से निपटने का दावा कर रही है
वहीं मौजूदा स्थिति ने दिल्ली सरकार के तमाम दावों को खोखला साबित कर दिया है
पी डब्ल्यू डी और एम सी डी दोनों एक दूसरे जवाबदेह ठहरा को रहे है
राजधानी में कुछ ही दिनों में राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन होना है अगर हालात इसी तरह बदतर रहे तो वहां भी की मिट्टी पलीद होना तय है
आम आदमी के साथ का दावा करने वाली सरकार को जल्द ही कदम उठाने की जरुरत है

बारिश का कहर ............

बारिश का कहर


दुनिया के चोटी के शहरों में शुमार दिल्ली में सिर्फ आधे घण्टे की बारिश ने कोहराम मचा दिया
इस तूफानी बारिश में 11 लोगों ने अपनी जानें गवां दी और कई लोग घायल हो गए
बारिश की वजह से जगह - जगह पानी भर गया और जाम लग गया
आधी रात तक लोग जाम से जूझते रहे
दिल्ली के ज्यादातर इलाको में बिजली गुल होने से पूरी दिल्ली अँधेरे में डूब गयी
आधे घण्टे की बारिश ने जब इतना कहर बरपाया है तो जोरदार मानसून से क्या हाल होगा ? दिल्ली सरकार जहाँ मानसून की पूरी तैयारी का दावा करती है वहां मौजूदा स्थिति केवल अव्यवस्था और बदइंतजामी को ही बयां कर रही है
जो भी हो मगर सरकार की अनदेखी का सारा खामियाजा तो आम आदमी को ही भुगतना पड़ रहा है
अगर समय रहते को हालात दुरुस्त करने के लिए कदम नहीं उठाये गए तो कामनवेल्थ खेलों में भी मिट्टी पलीद होना तय है

दिल्लीवालो की सुरक्षा भगवान भरोसे .....

दिल्लीवालो की सुरक्षा भगवान भरोसे


राजधानी दिल्ली लम्बे समय से आपराधिक वारदातों में अव्वल रही है
लेकिन पिछले कुछ दिनों में इन वारदातों में जबरदस्त तेजी आयी है
राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था को ताक़ पर रखकर अपराधी अपने मंसूबो को अंजाम दे रहे हैं
अपराधी खुलेआम हत्या, लूटपाट और छेड़खानी की वारदातो को अंजाम देकर बेखौफ घूम रहे हैं
राजधानी बच्चों, बूढों और महिलाओं किसी के लिए भी सुरक्षित नहीं रह गयी है
दिल्ली सरकार को इसका जरा सा भी मलाल नज़र नहीं आता
कुछ ही दिनों में दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन होना है ऐसे में दिल्ली की आपराधिक छवि दुनिया के सामने पेश हो रही हैं
बिगड़ी सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जल्द ही कदम नहीं उठाये गए तो देश की साख बनने से पहले ही मिट्टी में मिल सकती है
आखिर दिल्ली देश की राजधानी है

कश्मीर में सेना की तैनाती ...........

कश्मीर में सेना की तैनाती


20 साल बाद एक बार फिर से कश्मीर में सेना तैनात कर दी गयी हैं
घाटी में चैन और अमन की बाहाली के बाद हालात इतने बदतर हो जायेगे इसका किसी को अंदाजा भी न था
आम आदमी का गुस्सा सरकार के खिलाफ है
जम्मू-कश्मीर की उमर अब्दुल्ला सरकार अपने वायदों को पूरा करने में पूरी तरह नाकाम रही है
नतीजतन घाटी के युवा खासे नाराज है और पूरा कश्मीर उबल रहा है
कर्फ्यू के बावजूद भीड़ जगह-जगह इक्कठा होकर पुलिस पर पथराव कर रही है
पथराव करने वाली भीड़ में ज्यादातर बच्चे और युवा है जिनकी उम्र 9 से 25 के बीच है
प्रशासन युवाओ को रोजगार दिलाने में नाकाम रहा है
हताश बच्चो और युवाओ ने पत्थरबाजी को ही अपना पेशा बना लिया है
इतने संगीन हालातो से विश्वपटल पर भारत कि छवि धूमिल हो सकती है और दुनिया के सामने भारत का कश्मीर पर दावा हल्का पड़ सकता है

पानी रे पानी तेरा रंग कैसा ?

पानी रे पानी तेरा रंग कैसा ?


पानी की वजह से आजकल पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है
कहीं मानसून की वजह से बाढ़ के हालात पैदा हो गए है तो कहीं पानी न मिलने से लोग बेहाल हैं
हर जगह प्रशासन और सरकार की ही खामिया सामने आ रही है
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में प्रशासन की अनदेखी की वजह से नहर में आयी दरार से पूरा इलाका जल में सराबोर हो गया
किसानो की खड़ी फसल बर्बाद हो गयी और दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे ठप्प हो गया
अगर सरकार ने समय रहते एतियती कदम उठाते होते तो ऐसी नौबत न आती
वहीँ दिल्ली के बहुत से इलाके पानी की कमी से जूझ रहे है
तंग आकर लोग ने सड़क पर विरोध-प्रदर्शन करना शुरू कर दिया
गुस्साई भीड़ ने तोड़-फोड़ और लूटपाट का रास्ता अख्तियार कर लिया
प्रशासन यहाँ भी नाकाम रहा
प्रशासन की अनदेखी और नाकारेपन का सारा खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ रहा है
सरकार को नींद से जागने और अपनी जवाबदेही समझने की जरुरत है

बंद की राजनीती .........

बंद की राजनीती


भारत बंद से तेल, गैस और रोजमर्रा के खाद्दय पदार्थो की कितनी कम होंगी यह तो मालूम नहीं
हाँ, इतना जरूर पता है कि इससे आम आदमी को कि तकलीफों और दिक्कतों से दो चार होना पड़ा
महंगाई के मुद्दे पर विपक्ष के बंद से सरकारी संपत्ति का जो नुकसान हुआ सो अलग
देश भर में जगह-जगह पर जाम, तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएँ हुई
जिससे विद्यार्थियों से लेकर नौकरी-पेशे वालों को तमाम तरह कि परेशानियाँ झेलनी पड़ी
रेलों के रोके जाने से लेकर विमान सेवाएं बाधित रही
तोड़फोड़, आगजनी , रेल और विमान सेवाएं बाधित होने से सरकार को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा है
बंद के बहाने विपक्ष अपनी राजनीती कर रहा है
महंगाई और बेतहाशा बढ़ी कीमतों का विरोध करना बेहद जरूरी है लेकिन विरोध शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए
ताकि आम जनता को दिक्कतों , तकलीफों और परेशानियों का सामना न करना पड़े

क्रिकेट में नस्लवाद .........

क्रिकेट में नस्लवाद


नस्लवाद के जहर से एक बार फिर क्रिकेट में बूचाल आ गया है
शरद पवार के आईसीसी अध्यक्ष चुने जाने पर ३० साल पुराना नस्ल का विवाद गरमा गया है
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री कि आईसीसी उपाध्यक्ष पद कि दावेदारी उनके आस्टेलियाई बोर्ड में कोई अनुभव की वजह से रद्द कर दी गयी
इससे बोखलाकर ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड ने बीसीसीआई पर निशाना साधना शुरू कर दिया हैं
इन देशों ने बीसीसीआई पर पद और पैसे के दुरुपयोग का आरोप लगाया हैं
वो शायद भूल गए हैं कि नस्लवाद का बीज उन्हीं ने बोया था जिसका फल अब उन्हें ही खाना हैं
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री को नस्लवादी माना जाता रहा है
बीसीसीआई ने तो बस नस्लवाद से त्रस्त देशों का साथ दिया है

मोनिंदर सिंह पंधेर को क्लीन चिट कितनी जायज ...

मोनिंदर सिंह पंधेर को क्लीन चिट कितनी जायज




नोएडा हत्याकांड के आरोपी सुरेन्द्र कोली को सीबीआई की विशेष अदालत ने आरती हत्याकांड में दोषी करार दे दिया. वहीं इसी हत्याकांड के एक और अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंधेर पर कोई चार्ज नहीं लगाया गया. मोनिंदर सिंह पंधेर को क्लीन चिट देश की जाँच एजेन्सियों और न्यायप्रणाली पर सवालिया निशान लगाती हैं. हत्याकांड में जहाँ सुरेन्द्र कोली को विभिन्न आरोपों के तहत सजा मिलनी तय हो गयी है. वहीं मोनिंदर पंधेर जिसकी शहके बिना इतना बड़ा हत्याकांड संभव नहीं लगता, उसे क्लीन चिट मिलना गले नहीं उतरता. मोनिंदर पंधेर ने पद और पैसे के दम अपने को बचा लिया है वहीं इस फैसले से कहीं न कहीं सीबीआई की जाँच प्रक्रिया की कमियां भी उजागर होती हैं.

Wednesday, August 25, 2010

तबियत से ...

तबियत से आज मैंने भी आगाज कर  ही दिया इस ब्लॉग की घमासान चौकड़ी में ............