Thursday, August 26, 2010

सभ्यता का पाठ ....

सभ्यता का पाठ


दिल्ली जहाँ दुनिया के चोटी के शहरों में शुमार हो गया है वहीँ दिल्ली के जनता ने मानो कभी न सुधारने की कसम खा रखी है
परिवहन के नियमों को ताक़ पर रखकर उन्हें दिनदहाड़े तोड़ना लोग अपना फ़र्ज़ समझते हैं
नियमों के हिसाब से गाड़ी चलाना अपनी शान के खिलाफ मानते है
चालक मनमाने तरीके से ओवरटेक और रेड लाइट तोड़ते है
लोग जहां- तहां कूड़ा-करकट फेंकना और मल-मूत्र से शहर को सडाना अपना धर्म मानते हैं
सार्वजनिक सम्पति को नुकसान पहुंचाने और उसको बदसूरत बनाने में हम अव्वल है
सरकारी और एतिहासिक इमारतों की सूरत बिगाड़ने में माहारत हासिल है
जहां-तहां अश्लील चित्रकारी करके और अश्लील उक्तियों से अपनी सभ्यता-संस्कृति का परिचय भी बखूबी देते है
समस्याएं अत्यंत गंभीर है जिनसे मुहँ नहीं मोड़ा जा सकता
हमेशा दुर्व्यवस्था के लिए सरकार को दोष देना भी जायज नहीं है
हमारी भी अपने शहर को साफ-सुथरा रखने और व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी बनती है
हमें सभ्यता का यह पाठ तो सीखना ही होगा
वरना राष्ट्रमंडल खेलों के वक़्त हम विदेशी मेहमानों के सामने दिल्ली की क्या तस्वीर पेश करेगें ?

1 comment:

  1. आज कल दिल्लीवासियो की सभ्यता सच में ख़राब हो रही है | खेलो के दौरान ऐसे में हम अपनी कौन सी संस्कृति को दुनिया के सामने रखेंगे इसलिए सभ्यता का पाठ तो सीखना ज़रूरी है |

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