पत्रकारिता और टेक्नोलोजी की कदमताल
मानव सभ्यता को विकसित और समृद्ध बनाने में तकनीक के योगदान को पूरी तरह से मापा जाना संभव नहीं है लेकिन कहना न होगा कि मानव सभ्यता-संस्कृति के हरेक महत्वपूर्ण बदलाव के पीछे तकनीक ही रही| इसी तकनीक को आधुनिक युग में टेक्नोलोजी के नाम से जाना गया| मानव सभ्यता-संस्कृति को पोषित करने वाला हर आविष्कार या खोज समूची दुनिया में कुछ न कुछ तब्दीली लाने में कामयाब रहा है| तकनीक के महत्त्व को जानने समझने के लिए जरुरत इस बात की है कि उसके प्रभावों को बेहतर तरीके से समझा जाए|
सूचना क्रांति के मौजूदा दौर में पत्रकारिता सूचनाओं की वाहक है| जब से मानव ने संचार करना आरम्भ किया तभी से तकनीक उसकी संस्कृति में शामिल हो गई| इसी तकनीक के जरिए लेखन पद्धति की शुरूवात हुई| लेखन की अलग-अलग पद्धतियों के माध्यम से ज्ञान को भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखना संभव हो सका|
कागज के आविष्कार ने जहां लेखन-पद्धति का विस्तार किया वही प्रेस और समाचार पत्रों की स्थापना ने इसे एक नयी दिशा प्रदान की| इसी से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नए आयाम मिले तकनीक चाहे जो भी रही हो उसके आधुनिकतम स्वरूप तक पहुँच एक खास तबके यानि विशेष उच्च और कूलीन वर्ग की ही रही| तकनीक के इस केंद्रीकरण और संकुचित दायरे के लिए आर्थिक कारण भी जिम्मेदार रहे| मगर सत्ता पक्ष की भी हमेशा यही कोशिश रही है कि आधुनिकतम तकनीक तक आम आदमी की पहुँच न हो| तकनीक पर जिसका जितना अधिक वर्चस्व स्थापित होता था वह उतना ही अधिक शक्तिशाली सत्ताधीश सिद्ध होता था| इस तरीके से तकनीक शक्ति का स्रोत बनी और उस पर नियंत्रण करने का साधन भी रही|
तकनीक पर नियंत्रण कितना अहम था इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1456 में जब प्रेस का आविष्कार हुआ तो इसके जरिये व्यापक स्तर पर धर्म-प्रचार किया गया| ‘गुटेनबर्ग की बाइबिल’ सर्वप्रथम छापे जाने वाली पुस्तक बनी| प्रेस यानी टेक्नोलोजी ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार का माध्यम बनी| 1561 में समाचारपत्रों का उदय हुआ जबकि भारत में इसकी शुरूवात 1774 से हुई| तभी से ही समाचारों पर सरकारी नियंत्रण की शुरूवात भी हुई|
औधोगिक क्रान्ति के दौर में जिन राष्ट्रों ने अपने उपनिवेश बनाए उन्होंने उन पर बेहतर नियंत्रण स्थापित करने के लिए टेक्नोलोजी का सहारा लिया| 1853 में भारत में रेलवे की शुरूवात हुई तो इसके जरिए प्रेस का विस्तार किया गया| साथ ही 1857 के विद्रोह को दबाने में इस टेक्नोलोजी ने अहम भूमिका अदा की| विजित राष्ट्र अपने उपनिवेशों पर बेहतर ढंग से नियंत्रण स्थापित करने के लिए ही तकनीकी श्रेष्ठता कारगर थी| मगर आधुनिक तकनीक आने तक पुरानी तकनीक कभी भी जनसुलभ नहीं कराई गयी|
इसी बीच नए आविष्कारों और नई टेक्नोलोजी से पत्रकारिता में नए-नए परिवर्तन आने लगे| 1840 में टेलीग्राफ आने से समाचारों का आवागमन तीव्र हुआ| अमेरिका और यूरोप के बीच पहली केवल लाइन बिछाई गयी| तो वहीँ 1876 में टेलीफोन के आविष्कार से सन्देश और ख़बरों को भेजना सरल हो गया| ख़बरों की उपलब्धता ने रहस्यों के अलम्बरदार राजतंत्र को पुराना कर दिया|
पत्रकारिता में एक और अहम आयाम के तौर पर 1906 में रेडियो की शुरूवात हुई| भारत में इसकी शुरूवात 1920 के दशक से हुई| 1930 के दशक से टेलीविजन की भी शुरूवात हो गयी| शुरूवात में दोनों जनमाध्यमों पर सरकार का कठोर नियंत्रण रहा| लाइसेंस प्रणाली और सेंसरशिप लादी गई| इन दोनों माध्यमों ने आने वाले वर्षों में पत्रकारिता के स्वरूप को बदल कर रख दिया|और इन्ही की तर्ज पर अखबारों का स्वरूप भी बदला| जनमत को प्रभावित करने वाले साधनों पर वर्चस्व जनतंत्र पर नियंत्रण बन गया|
रेडियो में एफ एम चैनलों की शुरूवातएक नए युग का आगाज माना गया| वर्तमान में इसकी पहुँच 97% जनता तक है| नए प्रयोग के तहत 2003 में कम्यूनिटी रेडियो की शुरूवात हुई| वहीँ टेलीविजन की दुनिया में भी सैटेलाइट टेलीविजन और केवल टेलीविजन आने से नई क्रांति का सूत्रपात हुआ| जी समूह और आज तक ने अपने चैनल खोले| इसके बाद तो जैसे न्यूज चैनलों की बाढ़ सी आ गई| अब तो इस सम्बन्ध में चयन की समस्या उत्पन्न हो गई है|
पत्रकारिता के विकास में 2004 का अमेरीकी राष्ट्रपति चुनाव अहम स्थान रखता है| 2004 के अमेरीकी राष्ट्रपति चुनाव से ब्लॉग की शुरुवात हुई, जो वैकल्पिक मीडिया का माध्यम बना और जिसने मुख्यधारा मीडिया के वर्चस्व को तोड़ा| बहरहाल, अगर पत्रकारिता के संदर्भ में कम्प्यूटर के पदार्पण की बात की जाये तो इसने मीडिया के क्षेत्र में इतने व्यापक परिवर्तन ला दिए जिनको गिन पाना संभव नहीं है| न केवल पुराने ढर्रे पर चल रही मुद्रण प्रणाली चुस्त-दुरुस्त हुई अपितु इलेक्ट्रोनिक और दृश्य माध्यमों में भी भारी बदलाव आ गया| कम्प्यूटर की सहायता ने संपादन, डिजानिंग, ले-आउट, कम्पोजिग और रंग-विधानों को नए आयाम दिए| इसने टेलीविजन में भी संपादन, साउंड मिक्सिंग, फोटोग्राफी इत्यादि को आसान कर दिया|
मौजूदा युग कनवर्जंस का युग है| कम्प्यूटर, इन्टरनेट और मोबाइल पत्रकारिता में अहम भूमिका अदा कर रहे है| समाचारपत्र इन्टरनेट पर उपलब्ध है| कैमरा, माइक्रोफोन और बाकी मीडिया उपकरणों में भी अत्यधिक बदलाव आ गए है| इनको आपरेट करना पहले से बेहद आसान हो चुका है|
लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू भी है जिसे जानना उतना ही जरूरी है| टेक्नोलोजी सहूलियतों के अलावा अपने साथ तमाम तरह के खतरे भी लाती है| नई टेक्नोलोजी के आने से नई तकनीकी शब्दावली का भी विकास होता है| जो आम आदमी की समझ से एकदम परे है| इससे माध्यमो के अंदर तक आम आदमी की पहुँच नहीं हो पाती|
टेक्नोलोजी की मदद से संचार माध्यमों ने सूचना क्रांति के इस दौर में जनमत पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया है| इन संचार माध्यमों ने हमारी कल्पना का अपनी गिरफ्त में ले लिया है| संचार माध्यम नई-नई इच्छाओं की उत्पति करते है| उपभोग के इतने अधिक विकल्प उपलब्ध करा दिए जाते है कि वे विकल्प, विकल्प न रहकर हमारी आवश्यकतायें बन जाते है वह भी आकर्षक स्कीमों और पैकेज के तौर पर|
इस तरह जनमत विकसित न होकर निर्मित किया जा रहा है| मौजूदा दौर में विकसित राष्ट्रों का ही टेक्नोलोजी पर अधिक वर्चस्व और नियंत्रण है जिसके जरिये विकसित राष्ट्र अल्पविकसित और विकासशील देशों के जनमत को प्रभावित कर रहे है| यहाँ तक कि हमारी सोच और हमारे विचारों पर भी वर्चस्व और नियंत्रण स्थापित किया जा रहा है|
lekh behad gyanvardhak hai
ReplyDeleteआपका लेख तकनीक के नफे नुकसान समझाने में मददगार है | दुनिया भर में तकनीक पर जिस तरह का वर्चस्व स्थापित किया हुआ है उससे विचारो पर भी नियंतरण बनाया गया है | इस तरह की जानकारी देने क लिए आपका प्रयास सराहनीय है ........................
ReplyDeleteपत्रकारिता और समाज पर तकनीक के प्रभाव का गहन विश्लेषन किया गया है ॥ साथ ही लेख समाज पर पडने वाले नकारात्मक प्रभावो को भी बतलाने वाला है ॥
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